Chanakya ke Anmol Vachan : हर इंसान के जीवन में सुख और दुख दोनों ही आते है। ऐसे में समझदारी यही है कि, आप इन परिस्थितियों में सही तालमेल बैठाते हुए निर्णय लें। सदियों पहले जमने महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य ने कुछ ऐसी बातें बताईं थी। जिनका पालन करके आज भी कोइ व्यक्ति सफलता पा सकता है। उनकी लिखी पुस्तक चाणक्य नीति आज भी लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। हम इसी पुस्तक से आपके लिए, कुछ ऐसे विख्यात उदाहरण लेकर आये हैं। जो आपको प्रेरित करने के साथ साथ, बुद्धिमान भी बनायेगी। ताकि आवश्यक्ता पड़ने पर आप अपनी सहायता खुद ही कर पाये। तो फिर देर किस बात की, चलिए जानते हैं Chanakya ke Anmol Vachan में से उन प्रसिद्ध उदाहरणों के बारे में।
जैसा की हम सभी को पता है की, चाणक्य अपने समय के एक महान शिक्षक, अर्थशास्त्री, दार्शनिक, न्यायिक महापुरुष थे। वे चन्द्र गुप्त मौर्य के शासन में शाही सलाहकार भी थे। कहा जाता है की, चन्द्र गुप्त मौर्य को राजा बनाने में चाणक्य ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। देखा जाये तो आज भी चाणक्य बहुत से लोगों के लिए, एक आदर्श मार्गदर्शक हैं। चलिए और देर न करते हुवे जान लेते है, Chanakya ke Anmol Vachan के बारे में।
बुरा वक़्त आने पर खुद को कैसे तैयार करें? Chanakya ke Anmol Vachan
आचार्य चाणक्य भारतवर्ष के एक ऐसे महान विद्वान, दूरदर्शी और दृढसंकल्पी व्यक्ति थे। जिनकी बताई गयी बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। जितनी की उनके समय में भी हुवा करती थी। जैसा की मैंने आप को उपर बताया, वे चाणक्य ही थे जिन्होंने अपनी कूटनीति के दम पर एक साधारण चन्द्र गुप्त मौर्य को मगध का राजा बना दिया था। चलिए चाणक्य के द्वारा लिखी गयी “चाणक्य नीति” नामक किताब के प्रसिद्ध उदाहरणों के बारे में जान लेते है।
1. “सीधा वृक्ष न बनें, क्यों की सबसे पहले सीधे वृक्ष को ही काटने के लिए चुना जाता है।”
हमें अपने स्वभाव के कारण अपने जीवन में कई बार सुख और दुःख दोनों ही झेलने पड़ते हैं। ख़ास तौर पर जो व्यक्ति ज़रूरत से ज़्यादा सीधे होते हैं। उन्हें ज़्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि चालाक और चतुर लोग इनके भोलेपन का फायदा उठाते हैं।
चाणक्य के अनुसार ज़रुरत से ज़्यादा सीधा, सरल और सहज होना मूर्खता है। उनका कहना था कि, हमें सही और गलत का ज्ञान होना चाहिए। साथ ही हम में इतनी समझ होनी चाहिए कि, कौन हमारा भला चाहता है और कौन बुरा। ठीक इसी प्रकार वन में हमेशा सबसे पहले सीधे वृक्षों को ही काटने के लिए चुना जाता है। क्योंकि टेढ़े मेढ़े वृक्षों को काटना बेहद कठिन काम होता है।
इसलिए ज़्यादा भोलापन आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। क्योंकि चतुर लोग ऐसे ही लोगों को बेवकूफ़ बनाकर अपना मतलब निकालते हैं। अपने दिल की बात हर किसी को बताने से पहले अच्छे से सोच विचार कर लें।
2. “हमे दूसरों की गलतियों से सीख लेनी चाहिए, क्योंकि अपने ही ऊपर प्रयोग करने पर आयु ही कम पड़ जाएगी।”
हमें अपनी गलतियों से सबक लेनी चाहिए, यह बात सत्य है। लेकिन हमें दूसरों की गलतियों से भी बहुत कुछ सीखना चाहिए। यह बात भी उतना ही सत्य है। हर पल हम सतर्क रह कर खुद की मदद कर सकते हैं। अपने चारों ओर होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखें और उससे सीख लें। अगर आप दूसरों के दुःखो में उनकी मदद करेंगे। तो वे आपकी अच्छाई से प्रेम करने लगेंगे, साथ ही आप भी उनसे बहुत कुछ सीख पाएंगे।
अपने ही जीवन में व्यस्त रहना और इस बात का दावा करना कि, आप बुद्धिमान हैं। केवल यह काफी नहीं होता और न ही इससे आपका कुछ भला होने वाला है। ज़रुरत के समय लोगों की मदद करके, आप खुद के लिए भी अच्छा कर सकते हैं। बुद्धिमान वे लोग होते है, जो केवल देख कर ही बहुत कुछ सीख लेते हैं।
3. “भय जैसे ही आपके करीब आये, आप तुरंत उसके उपर आक्रमण होकर उसे नष्ट कर दीजिये।”
हर इंसान को किसी न किसी बात का भय लगा रहता है। चाणक्य कहते है की, जब हम किसी चीज़ या वस्तु से डरने लगते है। तो वह चीज़ हमें तब तक डराती है, जब तक हम उस वस्तु से डरते रहते हैं। इसलिए डर को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए। बल्कि उस समस्या को ही नष्ट कर देना चाहिए, जिसके कारण हमारा भय शुरू हुआ था। ऐसा करने से हमारा डर हमेशा के लिए दूर हो जएगा।
4. “आपका हमेशा खुश रहना ही, आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है।”
आपका दुश्मन कभी भी आपको खुश और सफल होता हुआ नहीं देख सकता है। वह आपकी खुशियों की राह में हमेसा कई तरह की बाधाएं उत्पन्न करने की कोशिश करता रहता है। ऐसे में अगर आप अपने दुश्मन को सज़ा देना चाहते हैं। तो हमेशा खुश रहिये, क्यों की आपकी प्रसन्नता ही उसकी सबसे बड़ी सज़ा होगी और आपकी ख़ुशी ही उसके दुःख का सबसे बड़ा कारण बनेगी।
5. “अगर सांप ज़हरीला न भी हो तो उसे खुद को ज़हरीला दिखाना चाहिए।”
यदि सांप के अंदर ज़हर न हो, तो उसका आंतक भी खत्म हो जाता है। ऐसे में उसे खुद को ज़हरीला दिखाने में ही उसकी भलाई है। ठीक उसी तरह मनुष्य को भी दूसरों के सामने अपनी कमज़ोरी नहीं बतानी चाहिए। ऐसा करने से लोग उसकी कमज़ोरी का फायदा उठाने लगते हैं। इसलिए कमज़ोर होते हुए भी, खुद को हमेशा मज़बूत के रूप में पेश करना चाहिए।
6. “हमें अतीत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, न ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए। विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में ही जीते हैं।”
जो बीत गया उसके बारे में सोच कर कोई फायदा नहीं होता है। क्योंकि गुज़रा हुआ कल कभी वापस लौट कर नहीं आता। इसके साथ ही भविष्य में क्या होने वाला है। इस पर भी ज़्यादा विचार करके मनुष्य को अपना कीमती समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए। बल्कि उसे अपने वर्तमान में कार्य करने चाहिए। जिससे वह खुद भी प्रसन्न रह सके और दूसरों को भी प्रसन्नता दे सके। अपने वर्तमान को बेहतर बनाने से जीवन में सफलता ज़रूर मिलती है।
आशा करता हु दोस्तों “Chanakya ke Anmol Vachan” के द्वारा, अब आप को पता चल गया होगा की बुरा वक़्त आने पर खुद को कैसे तैयार करें? तो देर किस बात की इन सीखी हुई बातो को अपने जीवन में उतारे और अपने जीवन को बदले।
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